Tuesday 6 October 2020

बनारस में का बा.....


बनारस_में_का_बा
...अरे_भईया_बनारस_में_का_बा...

बेरोजगारी बा, लाचारी बा ।
ग़रीबी और बिमारी बा।।

अरे भैया बनारस में का बा...
चोर बा, सिपाही बा औरी चौकीदारी बा।
प्रशासन का लापरवाही और  जनता का बदहाली बा।।

अरे भैया बनारस में का बा...
सेवा बा , सत्कार बा । पेपर बा , अखबार बा ।।
सामाजिक संगठन का भरमार बा।।।

अरे चाचा बनारस में का बा...
मन्दिर बा, मस्ज़िद बा । चर्च और गुरुद्वारा बा।।
गंगा जी का किनारा बा।।।

भैया बनारस में का बा...
शंकर बा , केसरी नंदन बा ।
काल भैरव बाबा और माता का बंदन बा।।
इन्हीं क सब करे अभिनंदन बा।।।

अरे भैया बनारस में का बा...
मार बा, पिटाई बा, गारी और गरियाई बा।
चोरी और चोराई बा , मनबढ़ाई और दबंगई बा ।।

अरे भैया बनारस में का बा...
जिवन बा , मरण बा ।
गीत और गवाई बा , नाच और नचाई बा।।
दुध और  मलाई बा , फल और मिठाई बा।
गांजा जम के पियाई बा, महादेव के भक्ति में झुमाई बा।।

बनारस में का बा....
पान क खियाई बा ,रोड का रंगाई बा।
मदिरा का पीयाई बा , नाली में गिराई बा , मार और पिटाई बा।।
अरे बनारस में का बा...
शिक्षा बा , संस्कार बा ।
बनारस खुदे इतिहास का साक्षात्कार बा।।
🙏🙏हर हर महादेव 🙏🙏

©रौशन पटेल


Tuesday 4 June 2019

मृत्यु अटल सत्य है।



#अंतिम_यात्रा_का_क्या_खूब_वर्णन_किया_है.....
    #था मैं नींद में और. 
मुझे इतना
सजाया जा रहा था....

बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा
था....

ना जाने
था वो कौन सा अजब खेल
मेरे घर
में....

बच्चो की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जा रहा
था....

था पास मेरा हर अपना
उस
वक़्त....

फिर भी मैं हर किसी के
मन
से
भुलाया जा रहा था...

जो कभी देखते
भी न थे मोहब्बत की
निगाहों
से....

उनके दिल से भी प्यार मुझ
पर
लुटाया जा रहा था...

मालूम नही क्यों
हैरान था हर कोई मुझे
सोते
हुए
देख कर....

जोर-जोर से रोकर मुझे
जगाया जा रहा था...

काँप उठी
मेरी रूह वो मंज़र
देख
कर....
.
जहाँ मुझे हमेशा के
लिए
सुलाया जा रहा था....
.
मोहब्बत की
इन्तहा थी जिन दिलों में
मेरे
लिए....
.
उन्हीं दिलों के हाथों,
आज मैं जलाया जा रहा था!!!

👌 लाजवाब लाईनें👌
 इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।

"और कितना वक़्त लगेगा"

Thursday 30 May 2019





समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं ,कभी सुना है ,, कि "अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो""एक ही जगह ऊर्जा लगाने की शक्ति"---------------------------बचपन में एक काम हर कोई करता है लैंस से सूरज की किरणों के जरिये कागज में आग लगाना. शायद याद होगा हम सभी को. क्या कभी हमने सोचा है कि अगर हम कागज को बिना लैंस के सूरज की किरणों के सामने रखते हैं तो वो नहीं जलता. जी हाँ जलता ही नहीं।क्योँ ????क्योँकि सूरज की किरणें पूरी पृथ्वी पर फैली हुई होती हैं. पर मित्रों जब हम इन्ही फैली हुई किरणों को लैंस के जरिये "एक जगह इकट्ठा" करते हैं तो आग लग जाती है.मित्रों इसी तरह "अपने को सूर्य" और "अपने विचारों को किरण" समझिए. अब देखिये कि जब तक हमारे विचार रूपी किरण इधर उधर भटकते रहेंगे तब तक हमारे काम सफल नहीं हो पाएंगे, पर हमने एक बात हमेशा देखी है कि जब भी हम इंसानों ने अपनी सारी की सारी किरण रूपी विचार एक जगह पर लगाए तो हमने बड़े से बड़े काम को चुटकियों में हल कर लिया. जी हाँ मित्रों हमें ये समझना पड़ेगा कि जब भी हम कोईकाम करें तो उसे proper तरीके तक लाने के लिए अपना तन, मन और जूनून पूरीतरह लगा दें, सफलता मिलने से हमें कोई नहीं रोक सकता.मित्रों उस काम के लिए इस कदर जुनूनी हो जाएँ जैसे पानी के अन्दर हम सांस लेनेके लिए तड़प जाते हैं.मित्रों अपनी सारी की सारी किरण रूपी ऊर्जा एक जगह पर ले कर कोई भी काम करें. जिस प्रकार लैंस के जरिये सूर्य की किरणों ने एक जगह आ कर कागज में आग लगा दी वैसे ही हम अपने अंदर की सारी की सारी ऊर्जा एक जगह लगा कर अपने भारत के स्वर्णीम गौरव को वापिस लाकर एक दिन विश्व गुरु अवश्य बनेंगे.मित्रों किसी ने सही कहा है :-समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं ,कभी सुना है ,, कि"अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो"

Sunday 26 May 2019

इंसानियत हुआ तार तार

#चिलचिलाती_धूप_बूढ़ी_दादी_मैं_औऱ_इंसानियत
ये बूढ़ी दादी अपने परिवार को चलाने के लिए इस बूढ़ी अवस्थाएं में भी कड़ी धूप में सड़कों पर लोगों से मदद मांग रही है ।

अपने परिवार के लिए ,  इनके बच्चों ने उनको अलग कर दिया है ।
साथ में टूटी झोपड़ी और उस झोपड़ी में तन्हाई और केवल इनके पति(दादा) रहते हैं ,दादा को दिखता नहीं।
दादी माँ घर से बाहर आती है, लोगों से अपील करती है ,मांगती है, जो कुछ मिलता है ।

उसको ले जाकर अपने और दादा के लिए बनाती है और खाती हैं। ज़िंदगी इनकी चल रही है उनकी हड्डियों में जान नहीं है।

 लेकिन जिनके हौसलों में अभी उड़ान है ।उनका हौसला कम नहीं है इस कड़ी धूप में लोग बाहर निकलने से घबरा रहे हैं। लेकिन यह इसी धूप में लोगों से मदद मांग रही हैं अपने परिवार के लिए और इन को देख कर आगे बढ़ जा रहे हैं ।किसी ने इतनी कोशिश भी नहीं की की धूप में क्या कर रही है ।
आपको क्या चाहिए  ?
कहां गया #मानवता_इंसानियत_खत्म_हो_गया_या_मर_गया।

 जैसे मैं बीएचयू अस्पताल से पढ़ कर आ रहा था ।देखा चिलचिलाती धूप में एक किनारे हल्की सी छांव के पास बैठी एक बूढ़ी महिला। चेहरे कुछ रुवास हुए थे ,और मन उदास था।

 मैंने पूछा दादी क्या हुआ ?उन्हें अपनी भाषा में कहां। #बचवा_भूख_लगल_हौ।

मैंने कहा आप यहां क्या कर रही है ?

उन्होंने कहा पेट की खातिर आल है ,बुढ़ऊ के लउकत नाही हमार बच्चा लोग झगड़ा करके हम के घर से बाहर हम लोग के बाहर कर देले हउअन हमलोग टूटल झोपडी में रहिला।भगवान क जब बुलाहट आ जा तब हम लोग चल जाएब।
 मैंने कहा खाना खायँगी ?
उन्होंने कहा हां बाबू भूख तो बहुत लगल हौ।
 मैं उनको अपने घर पर लेकर आया खाना खिलाया ।उनसे बात करने पर पता चला उनके घुटने में चोट लगा है।चोट लगने के बावजूद वह अपने परिवार और बची जिंदगी को चलाने के लिए इस तरीके से लोगों के सामने हाथ फैला रही है।
आखिर कंहाँ गया इंसानियत 50rs का खाना खिलाने से कोई गरीब नही हो जाता।ऐसे लोग दिखे तो अवश्य उनसे एक बार बात करे।
#जय_ईसानियत_जय_मानवता
8799572994